12 राशियों का राशिफल – आज का

12 राशियों का राशिफल – आज का

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कैसा रहेगा आज का आपका दिन आपकी राशि के हिसाब से? क्या कहते हैं आपके सितारे ? दैनिक राशिफल के द्वारा जानें अपनी पूरे दिन में होने वाली संभावित घटनाओं और उनसे होने वाले परिणामों के बारे में,12 राशियों का राशिफल, आज का राशिफल नीचे विस्तृत रूप से दिया गया है, अपनी राशि का चुनाव करके आप अपना राशिफल आसानी से जान सकते हैं।

12 rashiyon ka rashifal aaj ka

मेष दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

मेष राशि के जीवन में नए बदलाव आने की संभावना हैं जिसके लिए आपको सामान्य रहना है नई चुनौतियों का सहज रूप से सामना करने की सलाह है। अपने कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए नई योजनाओं को बनाने अथवा उन पर यथार्थ रूप से अवलोकन करने की जरूरत है। अपने विचारों को शुद्ध रखें, अपनी प्राथमिकताओं पर एकाग्र रहें, लोगों पर विश्वास रखें उनसे आपको अपने कार्यक्षेत्र में मदद मिलने की संभावना हैं। धैर्य, संतुलन जीवन में बनाए रखें, स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम करें।

वृषभ दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

आपके मित्र मंडली बड़ी है, लेकिन आज के दिन आपको सतर्क रहने की सलाह है। अपने किसी भी दोस्त से सहायता मांगने से पहले, उस पर विश्वास करने से पहले एक बार जरूर जांच परख कर लें। बिजनेस में पैसा लगाना हो या किसी दोस्त की पैसों में मदद करनी हो तो आज इस कार्य को करने से बचे। पैसों में मुनाफा या दिया हुआ पैसा वापस मिलने की संभावना कम हैं। आपके विरोधी आपके खिलाफ षड्यन्त्र बना सकते हैं, जिसके लिए आपको सतर्क रहने की जरूरत है।

मिथुन दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

आज का दिन मिथुन राशि वालों के लिए बहुत शुभ है। कोई ऐसा काम जो लंबे समय से अटका हुआ था उसके सफल होने की संभावना हैं। किसी भी व्यक्ति या अपने प्रियजन को बिन मांगे सलाह न दें, इससे आपके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। अपनी संतान को समय दें, उनके साथ घूमने जाए उनके स्वास्थ व उनकी पढ़ाई पर ध्यान दें, अन्यथा पढ़ाई पर से उनका फोकस हट सकता है। आपको परिवार से मान-सम्मान मिलेगा, यदि किसी पारिवारिक जन से आपका पुराना विवाद चल रहा था तो उसमें भी बात करके सब सही होने की पूरी उम्मीद है।

कर्क दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

कर्क राशि वालों के लिए आज का दिन अच्छा जानें वाला हैं, आपको अपने व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा। आपका पारिवारिक जीवन खुशनुमा रहेगा। बिजनेस के सिलसिले में आपको लंबी यात्रा करनी पढ़ सकती हैं। व्यवसाय में लाभ मिलेगा, अगर आप ऑनलाइन कोई डील किए हुए है, तो उसके फाइनल होने की पूरी संभावना हैं। किसी कानूनी विवाद को लेके आप लंबे समय से उलझे हुए थे तो उसका भी समाधान जल्द ही हो जाएगा। प्रियजनों के साथ समय बिताने का भी समय आपको मिल मिलेगा, जिससे आपके संबंध ओर भी गहरे होंगे। अपने खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें व नियमित व्यायाम आपके स्वास्थ्य को बनाने में मदद करेगा।

सिंह दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

आपको प्रियजनों के साथ समय बिताने या कोई छोटे ट्रिप पर जानें का अवसर मिल सकता है, रिश्तों में बिना वजह बहस करने से आपको बचना हैं। आपको खर्च सावधानी पूर्वक करना है आप कुछ ऐसा खरीद सकते हैं जिससे आपको आर्थिक हानी का सामना करना पड़ सकता है। लंबे समय आप किसी काम के पूरा होने के इंतेजार में थे तो उसके लिए भी आपको शीघ्र खुशखबरी मिल सकती है। आक के दिन आप सक्रिय व ऊर्जावान महसूस करेंगे। आज के दिन पूरे जोश के शुरू किया गया कार्य आपको सफलता दिलाएगा।

कन्या दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

आज आप प्रेरणा से भरे रहेंगे खुद को काफी सहज ओर ऊर्जावान महसूस करेंगे। आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अत्यधिक आवश्यकता हैं नहीं तो सब बिगड़ भी सकता है। कानूनी मामलों को लेकर भी आपके कार्य सफल होंगे। कुछ भी कार्य करने में हड़बड़ी न करें इससे आपके पार्टनर आपसे नाराज हो सकते है। नौकरी मिलने से भी आपका दिन अच्छा रहेगा। आपकी मुलाकात एक अच्छे इंसान से होने की संभावना है। स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान दें, पेट की समस्या को लेकर दिक्कत हो सकती है इसलिए बाहर का तला-भुना खाने से बचें।

तुला दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

आज आप जिन समस्याओं से लंबे समय से जूझ रहे थे उसका समाधान आपको मिल जाएगा जिसके चलते आप शांत रहेंगे ओर अपने जीवन को नई ऊर्जा के शुरू करेंगे। आपको शिक्षा मार्ग में सफलता मिलेगी। अपने पुराने मित्र से मिलकर आपको अच्छा महसूस होगा। अपने कार्य क्षेत्र में अग्रसर व निरंतर सफलता प्राप्त करने के लिए आपको एकाग्र रहने की जरूरत है। कोई नया मित्र बनाने में सावधानी बरतें। आपसे अगर कोई गलती हो जाती जिससे आपके पार्टनर को आहत पहुंचा है तो शीघ्र ही माफी मांगकर मामले को रफा दफा करें। इससे आपके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें, आँखों में एलर्जी होने की आशंका हो सकती हैं, तो आँखों को धूल-मिट्टी से बचाकर रखें।

वृश्चिक दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

एक जैसा जीवन यापन आपको अच्छा नहीं लगता है जिसके चलते आपको बोरियत हो सकती हैं। आप अपने दोस्तों के साथ ट्रिप-प्लान कर सकते है। आप अपने पार्टनर के साथ डिनर डेट के लिए भी जा सकते हैं। आपको अपनी नौकरी में पदोन्नति भी मिलने की संभावना है। संतान सुख की खुशखबरी आपको देखने को मिल सकती है। स्वास्थ्य को लेकर आप चिंतित रह सकते हैं। आपको अपने पारिवारिक जन से उधार लेने से बचना हैं, इससे आपके रिश्तों में खटास आ सकती है।

धनु दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

धनु राशि के वालों का आज का दिन मान-सम्मान में उन्नति देने वाला रहेगा। लेकिन आपको मान-सम्मान मिलने पर अहम की भावना को जन्म नहीं देना हैं। नौकरी क्षेत्र में भी सम्मान मिलेगा। अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर आप अपना नया कारोबार शुरू कर सकते है। इसमें आपको सफलता मिलेगी। आप अपने घर में छोटा-मोटा आयोजन भी करा सकते हैं। दूर रह रहे आपका कोई प्रियजन का दुखद समाचार मिल सकता है। घर में किसी के बीमार पड़ने पर आपको पैसों की व्यवस्था करनी पड़ सकती है। स्वास्थ्य को लेकर सजग रहें। पौष्टिक आहार लें, बाहर के खाने से बचें। आपको जीवनसाथी के साथ अच्छा समय बिताने का मौका मिल सकता है। जिन धनु राशि वालों के जीवन में विवाह को लेकर अर्चन आ रही है तो उसका भी समाधान जल्द हो जाएगा।

मकर दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

धन संबंधी कार्य के लेन-देन के लिए मकर जातकों के लिए शुभ है। अगर आप कोई संपत्ति में समावेश करते है या प्रोपर्टी को खरीदते हैं, तो भविष्य में आपको उससे अच्छे लाभ मिलेंगे। आपने कुछ व्यवसाय या अपने किसी महत्वपूर्ण काम को करने के लिए जो प्लान किया है उसको करने का यही सही समय है इसमें आपको सफलता मिलने के पूरे चांस हैं, हालांकि उस कार्य के चलते आप काफी व्यस्त रहेंगे। लेकिन इसका फल आपको बहुत जल्दी ओर अच्छा मिलेगा। अपने मन को शांत रखें, किचन में कार्य करते समय सावधानी बरतें, आज आपको आग व गरम चीजों से दूरी बना के रखनी हैं। विवाह के लिए जो वर आपके लिए देखा गया है उससे आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा।

कुम्भ दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

कुम्भ राशि वालों के जीवन में नए सकारात्मक बदलाव आएंगे जल्द ही उन्हे संतान सुख की प्राप्ति होने वाली है। अपने जीवनसाथी का खास ख्याल रखें उनके साथ घूमने जाए। इससे आपके संबंध ओर मजबूत बनेगा। इसके अलावा पारिवारिक समस्याओं पर भी ध्यान दें, नहीं तो आपको पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ सकता हैं। राजनीति क्षेत्र में कार्यरत लोगों को सफलता मिलेगी, मगर अपने विरोधियों से आपको सावधान रहने की आवश्यकता हैं। अगर आप कहीं घूमने का प्लान बना रहें हैं तो वाहन को सावधानीपूर्वक चलायें।

मीन दैनिक राशिफल : आज का राशिफल

मीन राशि वालों का आज का दिन बहुत व्यस्त रहने वाला हैं। आप काफी समय से प्रोपर्टी खरीदना चाहते थे उसको खरीद डालिए उसमें आपको लाभ मिलेगा। आपको कुछ संबंधी अपनी बातों में उलझा कर आपका लाभ लेने की कोशिश करेंगे ऐसे लोगों को आपको समझना है अथवा उनसे दूर रहें। अपने फैसले खुद से लें। आपकी संतान आपसे कुछ महंगे तोहफे की फरमाइश कर सकती हैं जिसे आप पूरा करेंगे। विद्यार्थियों का पढ़ाई को लेकर मानसिक दबाव कम होगा। परिवार में किसी की सरकारी नौकरी मिलने की खुशखबरी आपको सुनने को मिल सकती हैं।

गुरुवार का व्रत कब शुरू करें, लाभ, नियम विधि और बृहस्पति भगवान की कथा विधि

Guruvar Vrat Udyapan : गुरुवार व्रत रखने से भगवान विष्णु हो गये हैं आपसे खुश, पूरी हो गई आपकी इच्छा तो ऐसे करें उद्यापन, जाने गुरुवार का व्रत कब शुरू करें की पूरी विधि 

गुरुवार का व्रत कब शुरू करें: कहते हैं कि आप भगवान विष्णु से कुछ भी मनोकामना मांगते हैं, और उसके लिए आप पूरे मन से गुरुवार यानी बृहस्पतिवार का व्रत रखते हो तो भगवान विष्णु आपकी मनोकामना ज़रूर पूरी करते हैं। अगर आपकी मनोकामना पूरी हो चुकी है। और आपके द्वारा बोले गये व्रत भी समाप्त हो चुके हैं और अब आप भगवान विष्णु के व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो नीचे दी गई गुरुवार का उद्यापन कब करना चाहिए से लेकर सारी जानकारियों को अच्छे से पढ़ें, जिसमें आपको वृहस्पतिवार व्रत उद्यापन सामग्री, कब करना शुभ होता है, कैसे करना होता है, गुरुवार व्रत के लाभ, गुरुवार व्रत के नियम और विधि जानकारियां विस्तार से दी गई हैं। आइये गुरुवार व्रत की उद्यापन का विस्तार से अवलोकन करते हैं – 

गुरुवार व्रत उद्यापन कब करना शुभ रहता हैं

गुरुवार व्रत को अगर आप शुरू करना चाहते हैं तो पौष माह को छोड़कर आप किसी भी महीने में शुरू कर सकते हैं। वैसे आपको बता दें की अगर आप जातक हैं और पहले से इस व्रत को रखतें आ रहें हैं तो आपको पौष माह से परहेज़ करने की ज़रूरत नहीं हैं। लेकिन गुरुवार व्रत का उद्यापन आपको पौष माह में नहीं करना हैं। इसके लिए अनुराधा नक्षत्र और महीने की शुक्ल पक्ष की तिथि शुभ मानी जाती है। तो आप इस समय में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। 

गुरुवार व्रत के नियम: गुरुवार व्रत उद्यापन के दिन आपको क्या चीजें भूलकर भी नहीं करनी है, जिससे भगवान विष्णु हो सकते हैं रुष्ठ 

Thursday Fast Rules in Hindi | गुरुवार के दिन क्या नहीं करना चाहिए

1- गुरुवार व्रत उद्यापन के दिन आपको उड़द की दाल और चावल घर में नहीं बनाने हैं ना ही उनका सेवन करना है।

2- गुरुवार व्रत उद्यापन के दिन आपको केले का सेवन निषेध बताया हैं, क्योंकि इस दिन केले के पोधे की पूजा-अर्चना की जाती है इसलिए आपको केले का सेवन नहीं करना हैं।

3- गुरुवार व्रत उद्यापन के दिन आपको बाल, दाढ़ी, नाखून इत्यादि नहीं कटाने चाहिए। स्त्रियों को आज के दिन सिर नहीं धोना चाहिए नाही वस्त्रों को साबुन से धोना चाहिए।

4- भगवान विष्णु का पीला रंग बहुत प्रिय हैं तो कोशिश करें की आज के दिन पीला वस्त्र धारण करें, भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, मिठाई, फल इत्यादि चढ़ायें। 

5- स्त्रियों को गुरुवार व्रत और इसका उद्यापन मासिक धर्म के समय करना निषेध बताया गया है तो स्त्रियां भूलकर भी इस गलती को ना करें। व्रत या उद्यापन के दिन भी अगर आप मासिक धर्म से हो जाती हैं तो आपका व्रत खंडित हो जाता है, और आपका इस दिन किया उद्यापन भी भगवान विष्णु द्वारा स्वीकृत नहीं माना जाता है। तो मासिक धर्म का आपको विशेष ध्यान रखना हैं।

गुरुवार व्रत उद्यापन विधि (Guruvar Vrat Vidhi)

  • केला और केले के पत्ते 
  • चने की दाल 
  • गुड 
  • पीले वस्त्र 
  • गैंदा की फूलमाला 
  • पाँच पीले रंग की मिठाइयाँ  
  • पीला चंदन 

गुरुवार व्रत उद्यापन की विधि 

प्रातः सुबह उठ कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उठें, अपने नित्य कर्मों और घर की साफ़-सफ़ाई अच्छे से करके, गंगाजल को पानी में मिला कर उससे स्नान करें। फिर मंदिर में जाकर चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर को रखें, उस तस्वीर पर पीले यानी गैंदा के फूलों की माला भगवान विष्णु को पहनायें। उसके बाद चौकी के चारों पाओं में केले के पत्तों को बांधकर भगवान विष्णु की तस्वीर को कवर करें। उसके बाद भगवान विष्णु को चंदन लगायें, फल, फूल, चने की दाल और गुड का भोग लगाकर, विष्णु व्रत की कथा को कहें, उसके बाद आपको भगवान विष्णु की आरती करके पूजा को विराम देते हुए सूर्यनारायण को जल का अर्घ दें। तत्पश्चात् आपको ब्राह्मणों को भोजन कराना हैं उनको दान-दक्षिणा देने के उपरांत आपका व्रत संकल्प पूर्ण माना जाएगा। इसके बाद भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

गुरुवार व्रत के लाभ

गुरुवार व्रत को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है और इसके कई लाभ माने जाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य लाभ हैं:

  • गुरु कृपा: गुरुवार को व्रत रखने से भगवान विष्णु और भगवान बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है, जो विद्या, धर्म और समृद्धि के प्रतीक हैं।
  • धर्मिक उन्नति: गुरुवार को व्रत रखने से धर्मिक उन्नति होती है। यह साधना की भावना को मजबूत करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • आर्थिक समृद्धि: गुरुवार को व्रत रखने से आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है, क्योंकि गुरु बृहस्पति धन के देवता माने जाते हैं।
  • जीवन में शांति: गुरुवार को व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है। यह अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करके जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करता है।
  • आध्यात्मिक विकास: गुरुवार के व्रत से आध्यात्मिक विकास होता है। यह व्रत शुद्धि, उच्चता और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।

ये सभी लाभ गुरुवार व्रत के अनुष्ठान से प्राप्त हो सकते हैं, लेकिन इसके अलावा भी ध्यान रखना चाहिए कि हर व्रत को सही तरीके से और श्रद्धा से आचरण करना चाहिए।

बृहस्पति भगवान की कथा विधि

बृहस्पति भगवान की कई कथाएँ हैं, जो उनके महत्व को दर्शाती हैं। यहाँ एक प्रसिद्ध कथा है जो बृहस्पति भगवान के विषय में है:

कथा के अनुसार, एक समय परिणय समारोह के दौरान, देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन करने का निर्णय लेते हैं। समुद्र मंथन के दौरान अनेक अमृत कलशों और विशेष वस्त्र प्रकट होते हैं। लेकिन इसके साथ ही हलाहल विष भी प्रकट होता है, जो सभी के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।

देवता और असुरों को इस हलाहल के प्रभाव से बचने के लिए विष्णु भगवान की मदद चाहिए। विष्णु भगवान इस समस्या का समाधान करने के लिए अपने वाहन गरुड़ के साथ उड़कर आते हैं।

विष्णु भगवान के आगमन पर सभी देवता और असुर खुशी से भर जाते हैं, और उनसे हलाहल को पियने के लिए विनम्रता से निवेदन करते हैं। इस पर विष्णु भगवान देवताओं की सहायता के लिए एकान्त स्थान पर बैठे हुए बृहस्पति भगवान का उपासन करने का सुझाव देते हैं।

देवता और असुर उनके सुझाव का पालन करते हैं, और बृहस्पति भगवान की पूजा करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें हलाहल का पराभव होता है, और विष्णु भगवान उसे पी लेते हैं।

इस कथा से स्पष्ट होता है कि बृहस्पति भगवान का महत्व देवताओं के लिए कितना अधिक है और उनकी पूजा का क्या महत्व है। इसके अलावा, बृहस्पति भगवान को विद्या, बुद्धि, धर्म, और धन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी कौन सी तारीख को पड़ रही है? एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, व्रत की पूरी विधि

Papmochani Ekadashi April 2024 : पापमोचनी एकादशी के व्रत से होते हैं भगवान विष्णु खुश, करते हैं हर मनोकामना पूरी

Papmochani Ekadashi April 2024 : हमारे हिंदू धर्म में एकादशियों का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। कहते हैं कि एकादशी का व्रत रखने से विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं। इसलिए भारत में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की तिथि यानी इस महीने 5 अप्रैल को पापमोचिनी एकादशी है, महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है। बताते हैं, की पापमोचिनी का व्रत अगर आप पूरी श्रद्धा भाव से रखते हो तो भगवान विष्णु आपसे खुश होकर आपके सारे पापों को मिटा देते हैं, और आपके जीवन में सुख समृद्धि की कभी कमी नहीं होने देते। 

अगर आप भी पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु को खुश करना चाहते है। और अपने सभी पापों से मुक्ति पाना चाहते है तो इस व्रत की पूरी विधि जान लीजिए–

पापमोचिनी एकादशी के दिन सुबह उठते ही भगवान विष्णु का ध्यान करें, घर के कामों को निपटाने के बाद गंगा जल पानी में मिलकर उससे स्नान करें। इस दिन पीले वस्त्र पहनने का महत्व है तो पीले वस्त्र धारण करें। मंदिर में घी का दिया जलाकर फल, फूलमाला, रोली, मिठाई आदि से भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करें। पापमोचिनी एकादशी व्रत की कथा को कहें बाद में भवान विष्णु की आरती के साथ पूजा को विराम दे। पूरे दिन व्रत रखें शाम को मंदिर में आरती गाने के उपरांत फलाहार करें। अगले दिन नहा धोकर, ब्राह्मण को दान दक्षिणा देने के उपरांत अपने व्रत को खोले।

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पापमोचिनी एकादशी व्रत को रखने पर आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना है और उनको नहीं करना है 

1 – यह तो हम बचपन से सुनाते आये हैं की आज एकादशी है चावल नहीं बनेंगे, शादी में गये तो पता चला की आज एकादशी है छोले के साथ चावल नहीं खा सकते। तो पापमोचिनी एकादशी के व्रत अगर आप रखते हो तो आपको चावल का सेवन नहीं करना बल्कि घर में ही चावल नहीं बनाना चाहिए। ऐसा मानना है कि, एकादशी के दिन चावल खाने से अगले जन्म में आपको रेंगने वाले कीड़े का जन्म मिलता है। 

2 – पापमोचिनी एकादशी व्रत रखते हैं तो घर में तामसिक खाना नहीं बनाना चाहिए। प्याज़ – लहसुन का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए और घर में मदिरा-पान भी इस व्रत में वर्जित होती है।

3 – पापमोचिनी एकादशी व्रत के दिन घर में अच्छी साफ़-सफ़ाई होनी चाहिए। किसी भी तरह की धूल-मिट्टी घर में नहीं होनी चाहिए। पूजा के स्थान को सुबह ही साफ़ कर लेना चाहिए। जिससे आपका मन शांत एवं सकारात्मक रहे किसी भी तरह की नकारात्मक ख़याल मन में नहीं लाना है नाहीं किसी के लिए बुरा भला कहना चाहिए।

4 – जब आप पापमोचिनी एकादशी व्रत को रखते हैं तो अगले दिन दान करना बताया गया है तो आप व्रत खोलने से पहले किसी ग़रीब को अपनी श्रद्धा के अनुसार दान देने के उपरांत ही भोजन ग्रहण करें।

अप्रैल में चैत्र नवरात्रि 2024 नवमी कब है, जानें तारीखें, शुभ मुहूर्त और किस दिन करें किस देवी की पूजा

पापमोचिनी एकादशी कब है, एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

जैसा की आपको ऊपर बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की तिथि के दिन पामोचिनी एकादशी होती है, हालाँकि यह तिथि 04 अप्रैल की शाम 4:15 से शुरू हो जाएगी और 5 अप्रैल दोपहर 1 बजे क़रीब इसका समापन है। इसलिए पंचांग के अनुसार आपको पापमोचिनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को रखना है और उसके अगले दिन 6 अप्रैल को ब्राह्मण को खाना खिलाने व दान दक्षिणा देने के उपरांत अपना व्रत खोलना है।

13 या 14 आखिर कब है बैसाखी और क्यों मनाई जाती है? जाने सही तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व

Baisakhi Festival 2024 : रबी की फसल पकने की सौगत लेकर आता है बैसाखी, पूरे देश में धूम-धाम से मनाये जाने वाला यह त्योहार का सही दिन जान लीजिए 

बैसाखी पर्व 2024 : वैशाख में आने वाला पर्व बैसाखी सिखों के बड़ा ही अनमोल व उनके दिलों के बहुत क़रीब है। क्योंकि यह पर्व फसल के सुरक्षित पकने की ख़ुशी में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। यह पर्व हर साल 13 या 14 अप्रैल को पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। इस बार 2024 में  बैसाखी पर्व 13 अप्रैल को पूरे भारत देश में धूम-धाम से मनाया जाएगा ।

बैसाखी त्योहार सिखों के दिल के इतना क़रीब क्यों है 

बैसाखी, सिख धर्म में इतना प्रचलित क्यों है इसके पीछे का इतिहास बहुत महत्वपूर्ण है। जब मुग़ल शासक औरंगज़ेब का अत्याचार दिन-पे-दिन बढ़ता जा रहा था। हद तो तब हो गई जब सिख समुदाय के गुरु तेग़ बहादुर जी को धर्मपरिवर्तन ना करने  के जुर्म में औरंगज़ेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में उनका सिर कलम करवा दिया था। तब गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा समुदाय की स्थापना की जिसका उद्देश्य शांति बनाये रखना और नेकी के रास्ते पर चलना था। तो इस तरह खालसा समुदाय की स्थापना व सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद जी का राज्याभिषेक दोनों बैसाखी के दिन शुरू हुए इसलिए भी बैसाखी सिखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। 

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बैसाखी पर्व को मेष संक्रांति भी कहा जाता है, इस त्योहार को कैसे मनाया जाता है 

यह दिन हिंदू धर्म में भी बहुत मान्य है। ऐसा माना जाता है कि, बैसाखी पर्व  के दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है इसलिए इसको मेष संक्रांति भी कहा जाता है।  इस दिन गंगा स्नान का भी बहुत महत्व होता है हिंदू लोग भारी संख्या में गंगा स्नान के लिए जाते है। हरिद्वार और ऋषिकेश में इस दिन मेला भी लगता है। सिख समुदाय का इसको मनाने का तरीक़ा अलग है वे लोग सुबह नहा-धोकर नये कपड़े पहन कर गुरुद्वारे में माथा टेकने के लिए जाते है। दिन में मक्के की रोटी और सरसों का साग के अलावा कई तरह के पकवान बनाये जाते है। शाम को फसल के पकने की ख़ुशी में आग लगाकर उसके चारों तरफ़ अपना  पारंपरिक लोक नृत्य भांगड़ा पुरुषों और गिद्दा महिलाओं द्वारा किया जाता है। 

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बैसाखी से होती है सिखों के नये वर्ष की शुरुआत, नगरों में निकाला जाता है जुलूस 

सिखों के नये वर्ष की शुरुआत बैसाखी के दिन से शुरू होती है। सिख कैलेंडर के अनुसार, 30 मार्च 1699 के दिन से सिखों के नये वर्ष की शुरुआत होती है। इस तरह बैसाखी का त्योहार सिखों के लिए कई कारणों के चलते बहुत ख़ास होता है। इसके अलावा गुरुद्वारों को भी सजाया जाता है और नगर में गुरु गोविंद जी और पंच-प्यारों के सम्मान में कीर्तन व जुलूस का आयोजन भी किया जाता है। जिसका नेतृत्व पाँच खालसा जोकि गेरुआ वस्त्र धारण किए पंच-प्यारों के रूप में होते है, उनके द्वारा किया जाता है।

अप्रैल में चैत्र नवरात्रि 2024 नवमी कब है, जानें तारीखें, शुभ मुहूर्त और किस दिन करें किस देवी की पूजा

Navratri 2024 April: 9 अप्रैल से दुर्गा माँ अपने नौ अवतारों के साथ 17 अप्रैल तक आपकी दहलीज़ आयेंगी, जान लीजिए प्रमुख तिथियाँ

Chaitra Navratri 2024 Date : नवरात्रि का पर्व हमारे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ नौ दिनों तक मनाया जाता है। कहा जाता है की इन नौ दिन माँ दुर्गा अपने नौ अवतारों के साथ आपके घर आती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के दिन चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाते हैं। तो लोग माँ दुर्गा के आगमन के लिए घर को साफ़ स्वच्छ करके माँ दुर्गा की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना व नौ दिन तक उपवास रखते हैं। 

अप्रैल में नवरात्रि कब है 2024 चैत्र नवरात्रि का आरंभ कब से शुरू हो रहा है

चैत्र नवरात्रि 2024 नवमी कब है: साल में 4 बार नवरात्रि आती है जिसमें दो गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र व एक शारदीय नवरात्रि होती है। इन सब में चैत्र नवरात्रि का महत्व बहुत माना गया है। 

नवरात्रि 2024 अप्रैल की तारीखें – साल 2024 में 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होगा ज़ोकि अगले नौ दिन यानी 17 अप्रैल तक रहेगा। यह नौ दिन बहुत महत्वपूर्ण होते है अगर आप सच्चे मन से माँ दुर्गा की पूजा करते हैं तो माँ दुर्गा आपके जीवन को मंगलमय बनाती हैं आपके सारे संकट दूर कर देती हैं। 

54 साल बाद लगेगा अप्रैल में इस साल का पूर्ण सूर्य ग्रहण

चैत्र नवरात्रि में कलश-स्थापना का शुभ मुहूर्त | अप्रैल में नवरात्रि कब है

नवरात्रि 2024 अप्रैल – 9 अप्रैल से शुरू हो रही नवरात्रि का कलश- स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 11 मिनट से शुरू होगा और 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।

किस दिन किस देवी की करें आराधना

जैसा की हम जानते है की नवरात्रि में माँ दुर्गा अपने पूरे नौ स्वरूपों में आती हैं जिसकी पूजा का भी एक विशिष्ठ दिन होता है जैसे-

नवरात्रि का पहला दिन – पहला दिन माँ शैलपुत्री को अर्पित होता है। माँ शैलपुत्री को सफ़ेद कपड़े चढ़ाने का महत्व है क्योंकि वह हिमालय की पुत्री है और उनको सफ़ेद रंग प्रिय है।

नवरात्रि का दूसरा दिन – दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को अर्पण होता है। इनकी आराधना से व्यवहार में शांति आती है।

नवरात्रि का तीसरा दिन – तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को अर्पण होता है। इनकी आराधना से सारे संकट दूर होते है।

नवरात्रि का चौथा दिन – चौथा दिन माँ कूष्मांडा को अर्पित होता है। इनको मालपुए का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि का पाँचवा दिन – पाँचवा दिन माँ  स्कंदमाता को अर्पित होता है। इनको केले का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि का छठा दिन – छठा दिन माँ कात्यायनी को अर्पित होता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है।

नवरात्रि का सातवां दिन- सातवां दिन माँ कालरात्रि को अर्पित होता है। इनकी आराधन से आपके शत्रु आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाते है।

नवरात्रि का आठवां दिन –  आठवां दिन माँ महागौरी को अर्पित होता है। इनकी आराधना से हर मनोकामना पूरी होती है।

नवरात्र का नौवां दिन –  नौवां दिन माँ सिद्धिदात्री को अर्पित होता है। इनकी आराधना करने से घर में वैभव आता है।

खरमास में वर्जित कार्य की पूरी लिस्ट

Surya Grahan in April 2024: 54 साल बाद लगेगा अप्रैल में इस साल का पूर्ण सूर्य ग्रहण

Surya Grahan 2024 : इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगने जा रहा है जो 8 अप्रैल की रात्रि को लगेगा और अगले दिन यानी 9 अप्रैल की दोपहर 1 बजे तक इसका समय रहेगा। अगले दिन यानी 9 अप्रैल को नवरात्रि का पहला दिन भी है। हालाँकि यह एक खगोलीय घटना है। जिसका आपके सामान्य जीवन से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन भारत में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसको शुभ नहीं मानते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का असर हमारे जीवन पर भी होता है। तो ऐसे में हम लोग कंफ्यूज रहते हैं कि, हमको क्या कार्य ग्रहण के समय करने चाहिए और किन कार्यों को से बचाना चाहिए। इसकी चर्चा विस्तार से नीचे करते हैं – 

सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) क्या होता है, पूर्ण सूर्यग्रहण किसे कहते है

जैसा की हम जानते हैं कि, पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। भौतिक विज्ञान के अनुसार जब चंद्रमा, पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। जिसके कारण चंद्रमा सूर्य की सारी रोशनी को रोक लेता है। और पृथ्वी पर हल्की काली छाया जैसा हो जाता है। इस घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है।

खरमास में वर्जित कार्य की पूरी लिस्ट

ग्रहण भी तीन प्रकार के होते हैं खंड-ग्रहण, पूर्ण-ग्रहण व वलयाकार-ग्रहण। खंड-ग्रहण जब चंद्रमा सूर्या के कुछ हिस्से को अवरुद्ध या कहें कुछ हिस्से को ढकता है तो उसको खंड-सूर्यग्रहण कहते है।और जब चंद्रमा, सूर्य को पूरा ढक लेता है तो उस अवस्था को पूर्ण-सूर्यग्रहण कहा जाता है। वलयाकार-ग्रहण में चंद्रमा दूर से ही पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। जिससे सूर्य का मध्य भाग अवरुद्ध हो जाता है या कहें कि, कुछ चूड़ी के आकर का सूर्य दिखने लगता है।

8 अप्रैल को कितने समय तक रहेगा, सूर्य ग्रहण कब लगेगा  Surya Grahan on 8 April 2024

8 अप्रैल 2024 सूर्य ग्रहण समय : सूर्यग्रहण 8 अप्रैल की रात्रि 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 9 अप्रैल की दोपहर 1 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा।

भारत में सूर्य ग्रहण किन-किन जगहों पर दिखाई देगा?

आपकी जानकारी के लिए बता दें की 8 अप्रैल 2024 (Surya Grahan 8 April 2024) को पड़ने वाला सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखायी पड़ेगा इसलिए भारत में सूर्यग्रहण मान्य नहीं होगा। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जब सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत पर नहीं पड़ेगा इसलिए सूतक भी नहीं लगेंगे। इससे आपको कोई परहेज़ करने की आवश्यकता नहीं है। यह सूर्यग्रहण संपूर्ण अमेरिका के साथ उत्तरी भागों में नज़र आएगा।

क्या नवरात्रि की पूजा में कुछ बदलाव लाने होंगे 

जैसा की यह स्पष्ठ हो चुका है की सूर्यग्रहण का प्रभाव भारत पर नहीं होगा तो ऐसे में सूर्यग्रहण को लेकर कैसी भी दिक़्क़त नहीं होगी। आप अच्छे से दुर्गा माँ की पूजा आराधना कर सकते हैं, उपवास रख सकते हैं। 

शिव मंदिर जहां भगवान श्रीकृष्‍ण ने की थी महादेव की पूजा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण को शुभ क्यों नहीं माना जाता है

हालाँकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो यह एक खगोलीय घटना मात्र है। लेकिन हमारे ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। कहते हैं कि ग्रहण के समय काफ़ी नकारात्मक ऊर्जा पृथ्वी पर फैल जाती है। और ऊर्जा का स्तर बिलकुल नीचे गिर जाता है। तो ग्रहण के समय के समय हमें कई चीज़ों को करने से बचाना चाहिए-

1- हमारे ऋषि मुनियों का कहना है कि सूर्य ग्रहण के समय जठराग्नि, नेत्र व पित्त की शक्ति क्षीण पड़ जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को सूर्यग्रहण नहीं देखना चाहिए। क्योंकि उसके देखने मात्र से गर्भवती महिला की संतान विकलांग हो सकती है। गर्भवती महिला के उदर पे तुलसी, गेरू या गोबर का लेप लगाना चाहिए।

2- ग्रहण शुरू होने से पहले नहा लेने चाहिए और ग्रहण के समय भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए। ग्रहण के बाद दान करना उचित बताया गया है।

3- अगर आपकी रसोई में खाना बचा है तो उसको ग्रहण के बाद नहीं खाना चाहिए या फिर खाने की सामग्री में तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए जिससे उस पर ग्रहण के होने वालें दुष्परिणामों से बचा जा सकें।

4- ग्रहण के समय कुछ भी खाना नहीं खाना चाहिए। लेकिन बुजुर्ग और बच्चों को आप खाने को दे सकते हैं। 

Kharmas 2024 – सभी शुभ काम बंद हो जाएंगे, खरमास में वर्जित कार्य की पूरी लिस्ट यहां देख लें

Kharmas Me Varjit Karya: खरमास (Kharmas) की पौराणिक कथा क्या है, आइये जानते है, क्यों लगता है खरमास, क्यों कोई भी शुभ कार्य खरमास में वर्जित माना जाता है (खरमास में वर्जित कार्य), किस तारीख से खरमास की शुरुआत और कब है इसकी समाप्ति, कौन से कार्य आपको भूलकर भी नहीं करने है खर मास के दौरान 

Kharmas kya hai: खरमास क्या है इसके पीछे की क्या कहानी है, क्यों लगता है यह

खरमास लगने व इस समय कोई भी शुभ कार्य न होने के पीछे की एक रोचक कहानी है, एक बार सूर्य देवता पृथ्वी की परिक्रमा के लिए अपने सात घोड़ों के साथ रथ पर सवार होकर निकले, परिक्रमा के दौरान हेमंत ऋतू के आते-आते उनके घोड़े प्यास से व्याकुल होने लगे तो सूर्य देवता ने उनको एक तालाब के पास पानी पीने के लिए रोक लिया। लेकिन सूर्य देवता गतिहीन होने के लिए प्रतिबंधित है, क्योंकि अगर वो गतिहीन हो जाए तो पृथ्वी कैसे चलेगी। इसलिए उन्होंने वहाँ खड़े दो खर यानी खच्चरों को अपने रथ से बाँध लिया, और अपने आगे की यात्रा आरम्भ की, मगर खरों की गति घोड़ों जैसी तो नहीं होती है, सूर्य देवता ने धीमी गति के साथ एक महीना उन खरों के साथ यात्रा की, जिसके चलते उनकी गति कम रही और सूर्य का तेज भी पृथ्वी पर कम पड़ा। तो ऐसा माना जाता है की खरमास के समय सूर्य का तेज पृथ्वी पर कम होता है इसलिए कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इस समय पृथ्वी पर भी धूप कम होती है। कहते है की जब एक महीने के बाद सूर्य ने अपने सातों घोड़ों को फिर से अपने रथ में बांध लिया उसके बाद फिर से पूरी गति के साथ उन्होंने अपनी पृथ्वी की यात्रा जारी की। इसी तरह पृथ्वी पर भी मांगलिक कार्यों का होना शुरू हो जाता है।

एक ऐसा शिव मंदिर जहां भगवान श्रीकृष्‍ण ने की थी महादेव की पूजा

कब से लग रहा है खरमास, मार्च में खरमास कब लगेगा (march 2024 mein kharmas kab lag raha hai)

सूर्य हर महीने अलग-अलग राशि में प्रवेश करता है जब यह बृहस्पति से धनु राशि में प्रवेश करता है तब खरमास लगता है, एक महीने के अंतराल के बाद जब यह धनु राशि से मेष राशि में प्रवेश होगा तब खरमास की समाप्ति होगी। खरमास साल में दो बार लगता है इस बार 14 मार्च से 13 अप्रैल तक रहेगा। हमारे सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य खरमास में नहीं किया जाता है।

इस बार खरमास में होली, नवरात्री आदि त्यौहार पड़ रहे है, चलिए जानते है की आपको खरमास के लगने पर कौन-कौन से शुभ कार्यों को नहीं करना है और अगर आपने कुछ प्लान्स पहले से प्लान बना रखे थे तो उन पर भी आपको एक महीने के लिए पूर्ण विराम लगा देना है,

1 – कोई भी विवाह सम्बन्धी, चाहे रिश्ता पक्का करना या देखने दिखाने का कार्य आपको नहीं करना है। 
2 – वाहन, घर, जमीन, गहने आपको नहीं खरीदने है। 
3 – कोई मांगलिक कार्य जैसे बच्चे का मुंडन, नामकरण, गृहप्रवेश या घर में कोई पूजा जैसे सत्यनारायण की पूजा, देवी जागरण इत्यादि जैसे शुभ कार्य आपको नहीं करने है। 
4 – आपको नए कपड़ों, जूते चप्पलों की भी खरीदारी नहीं करनी है, अगर आपके पास नए कपडे पहले से रखे भी जो आने अभी तक पहन के देखे नहीं है तो उनको भी खरमास में न पहने। 
5 – खरमास में बहु बेटियों की विदाई भी नहीं करनी चाहिए अगर वह मायके में है तो ससुराल ना जाए और ससुराल है तो मायके ना जाए। 
6 – कोई भी करियर सम्बन्धी नई नौकरी, या कोई भी नया बिज़नेस आपको इस समय शुरू नहीं करना है।

क्यों नहीं होता है खरमास में कोई भी शुभ कार्य

हमारे सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य के लिए बृहस्पति, जिसे देव गुरु के नाम से भी जाना जाता है। इस राशि में किये कार्य अत्यंत शुभ एवं लाभदायी होते है। खरमास में सूर्य देवता बृहस्पति राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करता है, इसको धनु संक्रांति भी कहते है, धनु राशि में लगते ही सूर्य का तेज पृथ्वी पर कम हो जाता है, जिसके चलते कोई भी सुबह कार्य करना वर्जित माना जाता है। अगर आप तब भी करते है तो उसका शत प्रतिशत लाभ मिलने की संभावना कम हो जाती है।

धनुराशि की ख़ास बात क्या है, धनु राशि वाले व्यवहार के कैसे होते, कौन सा व्यवसाय में सफल रहने की सम्भावना ज्यादा होती है

धनुराशि का स्वामी गुरु होता है, इस राशि के लोग अत्यंत उत्साही, तार्किक, जीवन के प्रति व्यापक दृष्टिकोण व जीवन को बड़े ही मौज और उत्साह से जीने वाले होते है। इस राशि के लोग हर दिन खुद को बेहतर बनाने व अपना रास्ता खुद खोजने के लिए लगे रहते है, दर्शन शास्त्र, इतिहास व अलग अलग जगहों पर यात्रा करना इन्हे बहुत पसंद होता है। इस राशि के लोगों को जीवन में नयी-नयी चुनौतियों का सामना करना बेहद पसंद होता है तो इस राशि के लोगों का व्यापार करने में हाथ अच्छा होता है

खरमास में किन नियमों को करना चाहिए या किस की पूजा करनी चाहिए

1- खरमास में विष्णु की पूजा व सूर्य और तुलसी को जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।  
2- तामसिक भोजन को खरमास में ग्रहण नहीं करना चाहिए। 
3- खरमास में आपको जमीन पर बिस्तर लगा कर सोना चाहि।  
4- इस माह में उपवास रखने से भी लाभ मिलता है। 
5- बुरे विचारों से दूर रहे, दान करने से भी लाभ मिलता है।

महाशिवरात्रि पर लड़कियों के लिए बन रहा है अद्भुत संयोग, अक्षत को कर लें पूजा में शामिल

Maha Shivaratri 2024 Date and Time:  महाशिवरात्रि पर्व की तारीख: महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माँ पार्वती का विवाह हुआ था। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। इस तरह से दो दिन की शिवरात्रि हो रही है, लेकिन महादेव की पूजा करने का विशेष महत्त्व प्रदोष काल में होता है इसलिए  8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जायेगा।

कहते है देवी पार्वती जी ने शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी और उनकी तपस्या इसी शिवरात्रि दिन पूरी हुई थी। इसी दिन माँ पार्वती और भगवान शिव विवाह के बंधन में बंधे थे। तभी इस को दिन को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में बड़े ही धूमधाम मनाया जाता है।अविवाहित लड़कियाँ अच्छे पति की कामना व विवाहित महिलायें सुखी और सौभाग्यवती रहने के लिए शिव की पूजा व व्रत करती है।

Maha Shivaratri पूजा का समय क्या रहेगा:

महाशिवरात्रि को पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 25 से 9 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। आप इस समय के अंतराल में कभी भी भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना कर सकते है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा चार प्रहरों में की जाती है। ऐसा कहा जाता है की ऐसा करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते है, घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और कोई कष्ट अगर जीवन में होता है तो भगवान शिव उसको भी दूर कर देते है।

महाशिवरात्रि पर्व की तारीख कब है:

महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माँ पार्वती का विवाह हुआ था। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। इस तरह से दो दिन की शिवरात्रि हो रही है, लेकिन महादेव की पूजा करने का विशेष महत्त्व प्रदोष काल में होता है इसलिए  8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जायेगा।

क्यों है शिवरात्रि का इतना महत्त्व:

कहते है माता पार्वती जी ने शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी और उनकी तपस्या इसी शिवरात्रि के दिन पूरी हुई थी। इसी दिन माँ पार्वती और भगवान शिव विवाह के बंधन में बंधे थे। तभी से इस दिन को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में बड़े ही धूमधाम मनाया जाता है।अविवाहित लड़कियाँ अच्छे पति की कामना व विवाहित महिलायें सुखी और सौभाग्यवती रहने के लिए शिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा व व्रत रखती है।

Maha Shivaratri पूजा का समय क्या रहेगा:

महाशिवरात्रि को पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 25 से 9 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। आप इस समय के अंतराल में कभी भी भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना कर सकते है।

किन किन सामग्रियों की होगी जरूरत:

अगर सामग्री की बात की जाए तो सबसे पहले उनका अतिप्रिय बेल पत्र और धतूरा होना ही चाहिए, इसके अलावा गाय का दूध, गंगाजल, 5 तरह के फल, फूल माला, धूप, दीप, अक्षत, चन्दन, रोली, पान, सुपारी, दही, और पंचामृत आदि सामग्री की आपको जरूरत होगी।

पूजा की विधि:

महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर ॐ नमः शिवाय का जाप करे। 

अपने नित्य कर्मों को करने के उपरांत गंगा जल को पानी में मिलाकर उससे स्नान करें, साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करे। 

भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत से करें। 

भगवान शिव का अभिषेक चारों प्रहरों में करें, पहले प्रहर में दूध, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर में घी, और चौथे प्रहर में शहद को शामिल करें। 

पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ करते रहे। 

अंत में शिव और माता पार्वती की आरती करने के बाद उनसे अपने और अपने परिवार की मंगलकामना के लिए प्रार्थना करे। 

आज के दिन उपवास रखें, फलाहार करें, दूसरे दिन पूजा-पाठ करने के उपरांत भोजन ग्रहण करे।

अलीगढ़ का शिव मंदिर जहां भगवान श्रीकृष्‍ण ने की थी महादेव की पूजा

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