खरमास 2024-2025: महत्व, मंत्र, वर्जित कार्य और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष दिशा-निर्देश
खरमास 2024-2025: खरमास में किन मंत्रों का जाप करें, किन कार्यों को करें, किन कार्यों को करने से बचें, खरमास में दान-पूजा का महत्व, गर्भवती महिलाओं के लिए हैं बेहद खास, जानें सभी छोटी-बड़ी खबर खरमास के बारें में
खारमस का महत्व: खरमास (Kharmas) हिंदू कैलेंडर(पंचांग) के अनुसार, जब एक समय ऐसा आता है कि, सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है तो उस समय अवधि में खरमास लगता है। इस दौरान शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार आदि कार्य को वर्जित माना जाता है। हालांकि यह समय धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय में भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की जाती है जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
खरमास क्या होता है?
हिंदू धर्म में खरमास या मलमास को विशेष धार्मिक महत्व है। यह माह साल में दो बार आता है और इस दौरान सभी मांगलिक और शुभ कार्यों को करना वर्जित माना जाता हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल का दूसरा और आखिरी खरमास 15 दिसंबर 2024 की रात 9:56 बजे सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से शुरू होगा और 14 जनवरी 2025 के मध्य तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में इसे शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना गया है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्यों को रोक दिया जाता है। हालांकि, यह समय पूजा, ध्यान और दान-पुण्य के लिए उत्तम है।
खरमास कब से कब तक है?
खरमास 15 दिसंबर 2024 रात्रि 9:56 से शुरू होकर 14 जनवरी 2025 तक रहेगा।
खरमास कितने दिन का होता है?
खरमास 1 महीने (30 दिन) का होता है।
खरमास कितने तारीख को उतरेगा?
खरमास 14 जनवरी 2025 को समाप्त होगा।
खरमास माह में क्या करना चाहिए? What to do in Kharmas?
इस समय को धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है-
सूर्य देव की पूजा: तांबे के लोटे में जल, कुमकुम, रोली और गुलहड़ के फूल डालकर सूर्य देवता को अर्पित करना चाहिए।
भगवान विष्णु की आराधना: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए और इसके साथ तुलसी मत को जल नियमित अर्पित करें।
दान-पुण्य: गरीब और जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र और धन दान करना चाहिए।
पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन: व्रत, ध्यान और आध्यात्मिक साधना करनी चाहिए।
मंदिर में दीया जलाएं: शाम को नियमित रूप से घर के मंदिर में दीपक जलाना चाहिए। जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
खरमास के दौरान इन मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभदायी होता है-
“ॐ नमः शिवाय”
“ॐ सूर्याय नमः”
“ॐ नारायणाय नमः
खरमास है गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण-
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, खरमास का महीना गर्भवती महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, आदित्य हृदय स्त्रोत, और राम रक्षा स्त्रोत मंत्र का जाप करना चाहिए। इन मंत्रों का जाप करने से गर्भ में पल रही संतान ज्ञानवान और ऊर्जावान होती है। साथ ही, यह मंत्र गर्भवती महिलाओं को मानसिक शांति भी प्रदान करते हैं। इस तरह, खरमास के समय आध्यात्मिक साधना गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चे के लिए बेहद लाभकारी होती है।
खरमास माह में क्या नहीं करना चाहिए? What not to do in Kharmas month?
खरमास में वर्जित कार्य, भूल कर भी न करें ये कार्य-
- विवाह संबंधी कार्य जैसे- रिश्ता पक्का करना या देखने दिखाने का कार्य इस समय वर्जित माना जाता है।
- वाहन, घर, जमीन या गहनों की खरीदारी भी खरमास में नहीं करनी चाहिए।
- मांगलिक कार्य जैसे- बच्चे का मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश या घर में पूजा जैसे सत्य नारायण की कथा, देवी जागरण इत्यादि कार्य इस समय नहीं करने चाहिए।
- खरमास में नए कपड़े, जूते-चप्पल की खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए। अगर पहले से नए कपड़े रखे हैं, तो उन्हें भी इस अवधि में न ही पहनें।
- खरमास में बहू-बेटियों की विदाई भी नहीं करनी चाहिए। यदि वे मायके में हैं तो ससुराल नहीं जाएं और ससुराल में हैं तो मायके नहीं जाएं।
- नई नौकरी या व्यवसाय भी इस समय शुरू नहीं करनें चाहिए।
- इस समय यात्रा पर भी जाने से बचें, खासकर लंबी कोई यात्रा।
- इस समय को मानसिक शांति और आत्म-चिंतन के लिए इस्तेमाल करना चाहिए, इस समय कोई बड़ा फैसला या भविष्य संबंधी योजनाएं इस समय न ही करें।
खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा
खरमास से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है। एक बार सूर्य देव अपने रथ पर सात घोड़ों के साथ पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे थे। यात्रा के दौरान हेमंत ऋतु में घोड़े प्यास से व्याकुल हो गए, तो सूर्य देव ने उन्हें एक तालाब के पास पानी पीने के लिए रोक दिया। लेकिन सूर्य देव गतिहीन नहीं हो सकते थे, क्योंकि उनकी गति रुकने से पृथ्वी की गतिविधि ठहर जाएगी। इस समस्या का समाधान करने के लिए, सूर्य देव ने रथ में घोड़ों की जगह दो खर (खच्चरों) को जोड़ लिया और यात्रा जारी रखी।
खच्चरों की गति धीमी होने के कारण सूर्य का रथ भी धीमा हो गया, जिससे पृथ्वी पर सूर्य का तेज कम पड़ने लगा। इसी कारण, खरमास के समय को अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान सूर्य की ऊर्जा कमजोर होती है। साथ ही, यह समय ठंड का होता है, अतः पृथ्वी पर धूप कम रहती है।
एक महीने बाद, जब सूर्य देव ने अपने सातों घोड़ों को वापस रथ में जोड़ा, तो उनकी गति तेज हो गई, और पृथ्वी पर सूर्य का तेज फिर से बढ़ गया। इसी के साथ मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो गए। यही कारण है कि खरमास के दौरान शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है।