Aligarh News: अलीगढ़ जिला, जो पहले ताला और तालीम की नगरी के रूप में प्रसिद्ध था, अब दुनिया भर में पुलिस की वर्दी के लिए बिल्ले, स्टार, मोनोग्राम और बेल्ट तैयार होने का प्रमुख केंद्र बन गया है। भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, मलेशिया, सऊदी अरब, वियतनाम, श्रीलंका, अमेरिका, भूटान, हांगकांग, सिंगापुर, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, और इराक की पुलिस वर्दियों के लिए बिल्ले और मोनोग्राम अलीगढ़ में बन रहे हैं।

प्रतीकात्मक: Source : ANDLA AI
अलीगढ़ के सराय मानसिंह क्षेत्र में स्थित हिमांशु और सुधांशु गुप्ता द्वारा संचालित एक कंपनी अब पुलिस वर्दी के विभिन्न उपकरणों के निर्माण में लगी हुई है। इन देशों की पुलिस वर्दियों को सजाने के लिए बिल्ले, स्टार और मोनोग्राम को बेहद आकर्षक तरीके से डिजाइन किया जा रहा है। नेपाल, श्रीलंका और मलेशिया से बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं, हालांकि बांग्लादेश के बिगड़ते राजनीतिक हालात के कारण वहां से ऑर्डर लेना बंद कर दिया गया हैं।
बिल्ले और अन्य वस्तुएं बनाने की भी तैयारी
बिल्ले बनाने की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है। इसके लिए सबसे पहले, डिजाइन के अनुसार डाई तैयार की जाती है। इसके बाद, ढलाई, धुलाई, घिसाई, और पॉलिशिंग जैसी प्रक्रिया की जाती है। अंतिम चरण में, तैयार माल को पैकिंग करके उसे सप्लाई के लिए भेज दिया जाता है। प्रत्येक प्रक्रिया के लिए अलग-अलग कारीगर काम करने के लिए होते हैं।
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चुनौतियों का सामना
इस काम के लिए कई चुनोतीयों का भी सामना करना पड़ता हैं। बिल्ले की डिजाइन को तैयार करना एक बहुत बारीक काम है, इसमें छोटी सी भी गलती नहीं होनी चाहिए। इसलिए उन्हें विभिन्न स्तरों पर चेक किया जाता है। किसी भी स्तर पर अगर माल खराब पाया जाता है, कोई कमी रह जाती है तो वह माल विदेश नहीं भेजा जाता, जिससे लेबर का खर्च बढ़ जाता है। इसलिए कोई कमी न हो इसके लिए विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
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हथकड़ी से बिल्ले तक का सफर
अलीगढ़ में हथकड़ी निर्माण की परंपरा तो बहुत पुरानी है। स्वतंत्रता सेनानी सोनपाल मिश्रा ने 1932 में हथकड़ी बनाना शुरू किया था। अब उनकी तीसरी पीढ़ी के हिमांशु और सुधांशु मिश्रा ने हथकड़ी के साथ-साथ पुलिस के बिल्ले बनाने का काम भी शुरू कर दिया है। अलीगढ़ में अब पुलिस वर्दी के बिल्ले और अन्य उपकरणों का निर्माण क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलीगढ़ अपनी पहचान बना चुका है।