Aligarh News: ऐएमयू के भूगोल विभाग द्वारा 16 अक्टूबर की सायं 4 बजे मौसम गुब्बारा को छोड़ा गया जिसने तकरीबन 26 किमी की ऊंचाईं तय की, जोकि अब तक की सबसे ऊंची उड़ान इस मौसम गुब्बारे द्वारा भरी गई है।
क्या होता है मौसम गुब्बारा
मौसम गुब्बारा एक विशेष गुब्बारा होता है, जिसका उपयोग वायुमंडल से मौसम संबंधी डेटा इकट्ठा करने के लिए किया जाता है। इनमें मौसम संवेदन उपकरण लगे होते हैं, जो हवा की गति, तापमान, आर्द्रता और वायु दबाव जैसी जानकारी इकट्ठा करते हैं। यह जानकारी रेडियो संकेतों के माध्यम से ज़मीन पर स्थित स्टेशनों पर भेजी जाती है।
कुछ विशेष बातें:
• ये गुब्बारे लेटेक्स या सिंथेटिक रबर से बने होते हैं।
• इन्हें हीलियम या हाइड्रोजन गैस से भरा जाता है।
• ये गुब्बारे क्षोभमंडल से समतापमंडल में चढ़ते हैं और 40,000 मीटर (130,000 फीट) की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।
Aligarh Muslim University: AMU के भूगोल विभाग द्वारा मौसम गुब्बारा को 16 अक्टूबर की सायं 4 बजे छोड़ा गया, यह गुब्बारा 26 किमी की ऊंचाईं तक उड़ा, बताया जा रहा है कि यह अब तक का सबसे ऊंचा उड़ने वाला मौसम गुब्बारा है। इससे पहले भी मौसम की जांच करने की लिए ऐसा मौसम गुब्बारा 11 जुलाई को उड़ाया गया था। 26 किमी उड़ने के बाद इस गुब्बारे का सिग्नल कमजोर होने के कारण यह गुब्बारा बदायूं की उछानी में गिरा और फट गया।
परियोजना निदेशक अतीक अहमद ने बताया की मौसम गुब्बारा उड़ाने के लिए उन्होंने ओर उनके सहकर्मियों ने एयर ट्राफिक कंट्रोल की अनुमति ली थी, अनुमति के उपरांत ही उन्होंने मौसम गुब्बारे को उड़ाया।
इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया की, मौसम गुब्बारे में करीब छह मीटर की रस्सी जुड़ी होती है। रस्सी के अंतिम छोर पर रोडियोसोंड उपकरण होता है, जिसमें दाईं ओर जीपीएस रहता है, जो अपने स्थान की जानकारी देता है। बाईं ओर एक सेंसर लगा होता है, जो तापमान, आर्द्रता, दबाव और हवाओं की दिशा-गति का डेटा एकत्र कर ट्रांसमीटर को भेजता है। यह ट्रांसमीटर रिसीवर को डेटा भेजता है, जो भूगोल विभाग की छत पर लगा हुआ है, और डेटा को स्क्रीन पर निरंतर प्रदर्शित करता रहता है।