गुरुवार का व्रत कब शुरू करें, लाभ, नियम विधि और बृहस्पति भगवान की कथा विधि

Guruvar Vrat Udyapan : गुरुवार व्रत रखने से भगवान विष्णु हो गये हैं आपसे खुश, पूरी हो गई आपकी इच्छा तो ऐसे करें उद्यापन, जाने गुरुवार का व्रत कब शुरू करें की पूरी विधि 

गुरुवार का व्रत कब शुरू करें: कहते हैं कि आप भगवान विष्णु से कुछ भी मनोकामना मांगते हैं, और उसके लिए आप पूरे मन से गुरुवार यानी बृहस्पतिवार का व्रत रखते हो तो भगवान विष्णु आपकी मनोकामना ज़रूर पूरी करते हैं। अगर आपकी मनोकामना पूरी हो चुकी है। और आपके द्वारा बोले गये व्रत भी समाप्त हो चुके हैं और अब आप भगवान विष्णु के व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो नीचे दी गई गुरुवार का उद्यापन कब करना चाहिए से लेकर सारी जानकारियों को अच्छे से पढ़ें, जिसमें आपको वृहस्पतिवार व्रत उद्यापन सामग्री, कब करना शुभ होता है, कैसे करना होता है, गुरुवार व्रत के लाभ, गुरुवार व्रत के नियम और विधि जानकारियां विस्तार से दी गई हैं। आइये गुरुवार व्रत की उद्यापन का विस्तार से अवलोकन करते हैं – 

गुरुवार व्रत उद्यापन कब करना शुभ रहता हैं

गुरुवार व्रत को अगर आप शुरू करना चाहते हैं तो पौष माह को छोड़कर आप किसी भी महीने में शुरू कर सकते हैं। वैसे आपको बता दें की अगर आप जातक हैं और पहले से इस व्रत को रखतें आ रहें हैं तो आपको पौष माह से परहेज़ करने की ज़रूरत नहीं हैं। लेकिन गुरुवार व्रत का उद्यापन आपको पौष माह में नहीं करना हैं। इसके लिए अनुराधा नक्षत्र और महीने की शुक्ल पक्ष की तिथि शुभ मानी जाती है। तो आप इस समय में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। 

guruvar vrat

गुरुवार व्रत के नियम: गुरुवार व्रत उद्यापन के दिन आपको क्या चीजें भूलकर भी नहीं करनी है, जिससे भगवान विष्णु हो सकते हैं रुष्ठ 

Thursday Fast Rules in Hindi | गुरुवार के दिन क्या नहीं करना चाहिए

1- गुरुवार व्रत उद्यापन के दिन आपको उड़द की दाल और चावल घर में नहीं बनाने हैं ना ही उनका सेवन करना है।

2- गुरुवार व्रत उद्यापन के दिन आपको केले का सेवन निषेध बताया हैं, क्योंकि इस दिन केले के पोधे की पूजा-अर्चना की जाती है इसलिए आपको केले का सेवन नहीं करना हैं।

3- गुरुवार व्रत उद्यापन के दिन आपको बाल, दाढ़ी, नाखून इत्यादि नहीं कटाने चाहिए। स्त्रियों को आज के दिन सिर नहीं धोना चाहिए नाही वस्त्रों को साबुन से धोना चाहिए।

4- भगवान विष्णु का पीला रंग बहुत प्रिय हैं तो कोशिश करें की आज के दिन पीला वस्त्र धारण करें, भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, मिठाई, फल इत्यादि चढ़ायें। 

5- स्त्रियों को गुरुवार व्रत और इसका उद्यापन मासिक धर्म के समय करना निषेध बताया गया है तो स्त्रियां भूलकर भी इस गलती को ना करें। व्रत या उद्यापन के दिन भी अगर आप मासिक धर्म से हो जाती हैं तो आपका व्रत खंडित हो जाता है, और आपका इस दिन किया उद्यापन भी भगवान विष्णु द्वारा स्वीकृत नहीं माना जाता है। तो मासिक धर्म का आपको विशेष ध्यान रखना हैं।

गुरुवार व्रत उद्यापन विधि (Guruvar Vrat Vidhi)

  • केला और केले के पत्ते 
  • चने की दाल 
  • गुड 
  • पीले वस्त्र 
  • गैंदा की फूलमाला 
  • पाँच पीले रंग की मिठाइयाँ  
  • पीला चंदन 

गुरुवार व्रत उद्यापन की विधि 

प्रातः सुबह उठ कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उठें, अपने नित्य कर्मों और घर की साफ़-सफ़ाई अच्छे से करके, गंगाजल को पानी में मिला कर उससे स्नान करें। फिर मंदिर में जाकर चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर को रखें, उस तस्वीर पर पीले यानी गैंदा के फूलों की माला भगवान विष्णु को पहनायें। उसके बाद चौकी के चारों पाओं में केले के पत्तों को बांधकर भगवान विष्णु की तस्वीर को कवर करें। उसके बाद भगवान विष्णु को चंदन लगायें, फल, फूल, चने की दाल और गुड का भोग लगाकर, विष्णु व्रत की कथा को कहें, उसके बाद आपको भगवान विष्णु की आरती करके पूजा को विराम देते हुए सूर्यनारायण को जल का अर्घ दें। तत्पश्चात् आपको ब्राह्मणों को भोजन कराना हैं उनको दान-दक्षिणा देने के उपरांत आपका व्रत संकल्प पूर्ण माना जाएगा। इसके बाद भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

गुरुवार व्रत के लाभ

गुरुवार व्रत को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है और इसके कई लाभ माने जाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य लाभ हैं:

  • गुरु कृपा: गुरुवार को व्रत रखने से भगवान विष्णु और भगवान बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है, जो विद्या, धर्म और समृद्धि के प्रतीक हैं।
  • धर्मिक उन्नति: गुरुवार को व्रत रखने से धर्मिक उन्नति होती है। यह साधना की भावना को मजबूत करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • आर्थिक समृद्धि: गुरुवार को व्रत रखने से आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है, क्योंकि गुरु बृहस्पति धन के देवता माने जाते हैं।
  • जीवन में शांति: गुरुवार को व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है। यह अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करके जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करता है।
  • आध्यात्मिक विकास: गुरुवार के व्रत से आध्यात्मिक विकास होता है। यह व्रत शुद्धि, उच्चता और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।

ये सभी लाभ गुरुवार व्रत के अनुष्ठान से प्राप्त हो सकते हैं, लेकिन इसके अलावा भी ध्यान रखना चाहिए कि हर व्रत को सही तरीके से और श्रद्धा से आचरण करना चाहिए।

बृहस्पति भगवान की कथा विधि

बृहस्पति भगवान की कई कथाएँ हैं, जो उनके महत्व को दर्शाती हैं। यहाँ एक प्रसिद्ध कथा है जो बृहस्पति भगवान के विषय में है:

कथा के अनुसार, एक समय परिणय समारोह के दौरान, देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन करने का निर्णय लेते हैं। समुद्र मंथन के दौरान अनेक अमृत कलशों और विशेष वस्त्र प्रकट होते हैं। लेकिन इसके साथ ही हलाहल विष भी प्रकट होता है, जो सभी के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।

देवता और असुरों को इस हलाहल के प्रभाव से बचने के लिए विष्णु भगवान की मदद चाहिए। विष्णु भगवान इस समस्या का समाधान करने के लिए अपने वाहन गरुड़ के साथ उड़कर आते हैं।

विष्णु भगवान के आगमन पर सभी देवता और असुर खुशी से भर जाते हैं, और उनसे हलाहल को पियने के लिए विनम्रता से निवेदन करते हैं। इस पर विष्णु भगवान देवताओं की सहायता के लिए एकान्त स्थान पर बैठे हुए बृहस्पति भगवान का उपासन करने का सुझाव देते हैं।

देवता और असुर उनके सुझाव का पालन करते हैं, और बृहस्पति भगवान की पूजा करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें हलाहल का पराभव होता है, और विष्णु भगवान उसे पी लेते हैं।

इस कथा से स्पष्ट होता है कि बृहस्पति भगवान का महत्व देवताओं के लिए कितना अधिक है और उनकी पूजा का क्या महत्व है। इसके अलावा, बृहस्पति भगवान को विद्या, बुद्धि, धर्म, और धन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

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